अनुभाग 340 सीआरपीसी झूठा शपथ पत्र | झूठा शपथ पत्र देने पर सजा | झूठे शपथ पत्र पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले | शपथ पत्र की वैधता कितनी होती है
इस आर्टिकल में आज हम जानेंगे अनुभाग 340 सीआरपीसी झूठा शपथ पत्र एवं झूठा शपथ पत्र देने पर सजा l दोस्तों हम सभी जानते हैं कि शपथ पत्र एक ऐसा नामा होता है जिसमें जो भी बयान व्यक्ति के समक्ष लिखा होता है, वह पूरी तरह सत्य होता है l अब अगर कोई व्यक्ति झूठा बयान दे या झूठा बयान के आधार पर शपथ पत्र पेश करें तो ऐसे व्यक्ति को झूठा शपथ पत्र देने पर सजा भी हो सकती है l अनुभाग 340 सीआरपीसी झूठा शपथ पत्र क्या है, आइए यह समझते हैं l
अनुभाग 340 सीआरपीसी झूठा शपथ पत्र
अनुभाग 340 सीआरपीसी क्या होता है तथा इस मामले में झूठा शपथ पत्र देने पर सजा क्या मिलती है, किन लोगों पर अनुभाग 340 सीआरपीसी लगाई जाती है, धारा 340 कब लगाई जाती है, तो दोस्तों आपको बता दें कि जब कोई केस चलता है और उसमें अपने गवाह मौजूद होते हैं और उन गवाहों की गवाही लेने के लिए जब उन्हें न्यायालय में हाजिर होना पड़ता है और वह अपनी गवाही देते हैं, तो अगर वह गवाह झूठी गवाही देते हैं या सच को छुपाते हैं या किसी बहकावे में आकर मुंह नहीं खोलते, तो उन गवाहों के खिलाफ यह धारा (अनुभाग 340 सीआरपीसी) लगाई जाती है और न्यायालय मामले की जांच शुरू करने का आदेश देती है l
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अब इस स्थिति में यदि कोई गवाह के तौर पर झूठा शपथ पत्र पेश करता है, जिसमें गवाह की गवाही भी झूठी होती है और शपथ पत्र में प्रमाणित किए गए बयान भी झूठे होते हैं, तो उस पर भी कार्यवाही की जाती है और उसे भी सजा दी जाती है l अनुभाग 340 सीआरपीसी झूठा शपथ पत्र बनवा कर पेश करने पर भी कार्यवाही की जा सकती है l
उदाहरण के लिए – राजेश का केस चल रहा है और उसका दोस्त मोनू गवाह है कि राजेश बेगुनाह है, तो मोनू को न्यायालय में पेश किया जाता है, यदि मोनू सत्य एवं सही गवाही देता है जो कि उसने देखा है तो राजेश को रिहा मिलने में आसानी होती है l लेकिन अगर मोनू ही झूठी गवाही दे दे, या इसके लिए झूठा शपथ पत्र पेश किया जाए तो मोनू के खिलाफ धारा 340 के तहत न्यायालय सख्त कार्यवाही करने का आदेश देती है l और यह पता लगाने का आदेश देती है कि मोनू में झूठी गवाही क्यों दी, या वे जो बोल रहा है वह सही है या नहीं, इसकी जांच शुरू की जाए l
झूठा शपथ पत्र देने पर सजा
दोस्तों आपको शपथ पत्र के साथ-साथ यह भी जानकारी होनी चाहिए कि शपथ पत्र में दी जाने वाली जानकारी गलत हो तो क्या सजा होती है l अगर कोई भी व्यक्ति झूठा शपथ पत्र बनवाता है या शपथ पत्र में झूठी शपथ या झूठी बातों को लिखता है और उसे कोर्ट में या किसी सरकारी कार्यालय में या गैर सरकारी कार्यालय में जमा करता है, तो ऐसी स्थिति में कोर्ट में या अदालत में और सरकारी अथवा गैर सरकारी कार्यालयों में झूठा सबूत पेश करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कोर्ट झूठा मुकदमा चलाने का आदेश भी दे सकती है l ऐसे व्यक्ति पर CRPC section 340 के तहत मुकदमा चलता है l
झूठे शपथ पत्र पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले
अदालत के सामने झूठा सबूत पेश करने के मामले में दोषी पाए जाने पर अधिकतम 7 साल की सजा निर्धारित की गई है l वही किसी सरकारी या गैर सरकारी ऑफिस में झूठा एफिडेविट पेश करने पर या झूठा सबूत देने के मामले में दोषी पाए जाने पर अधिकतम 3 साल की सजा का प्रावधान है l
अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति के बदले में उस एफिडेविट में हस्ताक्षर करता है एवं उस एफिडेविट का गलत उपयोग करता है तो ऐसा करने वाले व्यक्ति के खिलाफ IPC section 419 यानी पहचान बदलकर धोखा देने का मुकदमा चलता है l जिस में अधिकतम 3 साल तक की भी सजा हो सकती है l
अगर इस तरह के एफिडेविट का उपयोग किसी को धोखा देने के लिए किया जाता है, तो इसमें जालसाजी का भी केस बन सकता है
शपथ पत्र की वैधता कितनी होती है
दोस्तों यदि कोई आपराधिक मामला है और उसके लिए शपथ पत्र पेश किया जाता है तो ऐसे शपथ पत्र की वैधता 21 दिन की बताई जाती है l आप जिस मामले में शपथ पत्र की वैधता जानना चाहते हैं उसकी सही जानकारी के लिए आप नजदीकी वकील से संपर्क कर सकते हैं l
Conclusion
किस आर्टिकल में हमने आपको बताया अनुभाग 340 सीआरपीसी झूठा शपथ पत्र एवं झूठा शपथ पत्र देने पर सजा क्या-क्या मिल सकती है l साथ ही झूठे शपथ पत्र पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले क्या होते हैं l यदि आपको इस आर्टिकल से संबंधित कोई दुविधा है या कन्फ्यूजन, तो हमें कमेंट करके जरूर पूछें l
FAQs – अनुभाग 340 सीआरपीसी झूठा शपथ पत्र
शपथ पत्र में झूठे बयान देने पर क्या होगा
यदि आप शपथ पत्र में झूठा बयान दर्ज करवाते हैं तो आप का शपथ पत्र झूठा माना जाएगा l और इसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी
न्यायालय में गवाही के तौर पर झूठा शपथ पत्र पेश करने पर क्या होगा
इस मामले पर झूठी गवाही देने वाले व्यक्ति पर अनुभाग 340 सीआरपीसी के तहत मुकदमा चलाया जाएगा l
कोर्ट का एफिडेविट कहां और कैसे बनवाएं
इसके लिए आप हमारे दूसरे आर्टिकल Affidavit kaise banaye को पढ़ें l
एफिडेविट और आवेदन पत्र में क्या अंतर है
दोस्तों एफिडेविट एक ऐसा प्रमाणपत्र होता है, जिसमें व्यक्ति द्वारा स्वयं के समक्ष बयान दिए जाते हैं जो कि सही होते हैं l वही आवेदन पत्र एक तरह की गुजारिश होती है, जिसमें लिखे गए बयान अनुमति अथवा रिक्वेस्ट करने के लिए दिए जाते हैं l
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