जब भी कोई अपराध होता है तो जिसके साथ होता है उसके पास कई विकल्प होते है कि वह इस मामले में क्या कदम उठा सकता है l जैसे कुछ लोग खुद ही उसे नुकसान पहुँचाना चाहते हैं, तो कुछ लोग उसे माफ़ कर देते हैं तो कुछ लोग कानून की सहायता लेना चाहते हैं l अब जो कानून की सहारा लेना चाहता है तो वह सबसे पहले नजदीकी थाना में उस शख्स के खिलाफ FIR दर्ज कराता है l
ऐसे में अक्सर हमारे मन में ये सवाल पैदा होता है कि अपराध होने के बाद हम थाने में FIR क्यों लिखवाते हैं और इससे क्या होता है, क्या इसके बाद वह शख्स गिरफ्तार किया जाता है, क्या FIR लिखवाने वाले को इससे कोई परेशानी आती है, और यदि FIR लिखवाने के बाद भी कोई कदम नहीं उठाया जाए तो हमें क्या करना चाहिए l यदि आपके मन में ये सारे सवाल हैं तो इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ें l
FIR kya hai kaise kare
आज की पोस्ट में हम आपको बताएँगे कि FIR kya hota hai kaise kare, FIR के बाद पुलिस क्या करती है, क्या compliant और FIR दोनों अलग -अलग है?, और इससे जुड़े हर बारीक सवाल का जवाब देने की कोशिश की जाएगी, तो यदि आप FIR के बारे में जानना चाहते हैं और आपको कोई भी कानूनी सहायता चाहिए तो आपको इसकी बेसिक जानकारी ज़रूर होनी चाहिए l
FIR kise kahte hai
FIR – First Information Report जिसे हिंदी में प्रथम सूचना रिपोर्ट कहते हैं l इसका सिंपल सा अर्थ है कि किसी अपराध की पुलिस को सूचना देना l ये सूचना लिखित रूप में ही मान्य होती है l प्रथम सूचना रिपोर्ट CRPC 1973 के अनुसार होती है l ध्यान रहे कि FIR केवल बड़े अपराधों में/के मामले में ही लिखाई जाती है l
प्रथम सूचना रिपोर्ट कैसे लिखायें
- अपना आधार कार्ड ज़रूर रखें
- जिस एरिया में अपराध हुआ है उसी एरिया के थाने में FIR लिखवाने जाए
- थाना प्रभारी न हो तो किसी भी सीनियर इंस्पेक्टर को FIR लिखवा दें
- FIR लिखते समय पुलिस आप से अपराध का स्थान, समय और वहां मौजूद लोगों के बारे में भी पूछ सकती है
- सारी कहानी/घटना क्रम लिख देने से आप सन्तुष न हों क्योंकि ये तो बुनियादी काम है, आपको रिपोर्ट लिखाने के बाद उसकी कॉपी भी लेना है, तभी आप थाने से लौटें l
- FIR में एक क्रमांक भी दर्ज होता है तो उसकी पुष्टि ज़रूर कर लें
NOTE : FIR का मतलब ही होता है कि किसी भी घटना (अपराध/दुर्घटना) की सबसे पहले रिपोर्ट, अब इसमें
- यदि कोई पुलिस, अधिकारी देरी करता है तो आपको उसकी शिकायत करनी चाहिए l
- FIR लिखने में कोई भी फीस, पैसा नहीं लगता है, मागने पर आप उसकी शिकायत कर सकते हैं l
First Information Report लिखाते समय इन बातों का रखें ध्यान
- इसमें देरी बिलकुल नहीं करना चाहिए
- आप चाहे तो एक आवेदन में भी अपनी बात लिखकर थाने में FIR के लिए दे सकते हैं (अन्यथा मौखिक रूप से देने पर प्रभारी स्वयं ही लिखित रूप से दर्ज करेगा)
FIR के मामले में Supreme court के 3 बड़े फैसले
- सुप्रीम कोर्ट ने FIR करने को अनिवार्य कहा है l (संज्ञेय मामले में)
- साथ ही दर्ज होने के एक सप्ताह के अन्दर मामले की जाँच पूरी हो जानी चाहिए l
- जो अधिकारी FIR दर्ज करने से मना करे उसके खिलाफ कार्यवाही करने का आदेश दिया है l
पुलिस FIR लिखने से मना कर दे तो क्या करें
यदि किसी भी कारण थाने में आपकी प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं की जा रही है तो आप वहां के किसी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी या Chief Superintendent of Police (CSP) को इस बात की सूचना दें l जब भी कोई गंभीर मामला हो तो आपके तरफ से कभी भी इस काम में देरी नहीं होना चाहिए l यदि वरिष्ठ अधिकारी भी किसी कारण से FIR नहीं लिखते तो आप CM Helpline Number का उपयोग कर संबन्धित अधिकारी की शिकायत दर्ज कर सकते हैं l
जिंदगी में अक्सर कभी ना कभी तो हमें हॉस्पिटल पुलिस स्टेशन सरकारी कार्यालय के चक्कर लगाने की जरूरत पड़ती है बाकी मामलों में तो लोगों को अपने किसी दोस्त रिश्तेदार की मदद मिल जाती है लेकिन पुलिस स्टेशन के नाम से लोग पीछे हटते हैं साथ ही पुलिस भी कभी-कब फिर से मना कर देती है ऐसी स्थिति में अपराधी के खिलाफ पुख्ता जानकारी सबूत होने के बावजूद हम FIR नहीं लिखवा पाते l
आसान तरीका : डाक सेवा के माध्यम से थाना या उसके कर्मचारी/अधिकारी की शिकायत DSP को भेजें l
इन मामले में भी लिखी जाती है FIR
- कॉलेज आईडी कार्ड गुम होने के सम्बन्धत में
- ट्रान्सफर सर्टिफिकेट खो जाने के सम्बन्ध में
- अंकसूची गुम होने के सम्बन्ध में
- कुछ अन्य भी शामिल l
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